God Sees the Truth but Waits by Tolstoy: A Summary



God Sees the Truth but Waits: A Summary

God Sees the Truth but Waits is a beautiful short story. It has been written by great Russian author named Leo Tolstoy. This story was first published in 1872. It is a story about a man named Ivan Dmitrich Aksionov. It is he who is sent to prison for a murder that he did not commit. The main theme of this story is that God alone knows the truth.
God Sees the Truth but Waits is a story about a young merchant named Ivan Dmitrich Aksionov. He lived in a Russian town named Vladimir with his family. Ignoring the advice of his wife, Aksionov leaves for the Nizhny Fair one summer. He meets another merchant on the way. Together they stay in an inn. Aksionov wakes early the next morning and continues his journey without the other merchant. He visits twenty five miles and after that he stops at another inn to rest his horses. In the mean time an official and two soldiers approach him. They begin asking him questions about the merchant that stayed at the inn with him. He was informed that the other merchant was found dead this morning. They search his bag and find a bloody knife. Aksionov is shocked. He claims that the knife isn't his. He is arrested and sent to Siberia. He spends 26 years in imprisonment. This imprisonment makes him a well grounded and God-fearing man. He dedicates his life to God. He is well-liked by the fellow prisoners. He is known as a just and honest man. One day a new prisoner comes to the prison. His name is Makar Semyonich. It is he who committed the murder for which Aksionov was blamed. One day the guards find a tunnel in the prison. Aksionov knows that Makar Semyonich is the culprit. But he does not disclose the secret. After that Makar Semyonich admits that it was he who had killed the merchant. Aksionov forgives him. Makar Semyonich was so impressed by the goodness of Aksionov that he confesses to the authorities. The process of the release of Aksionov starts. Unfortunately when the order of release comes, he is already dead.

हिंदी सारांश:

गॉड सीज़ द ट्रुथ बट वेट्स एक सुंदर लघुकथा है। इसे महान रूसी लेखक लियो टॉल्स्टॉय ने लिखा है। यह कहानी पहली बार 1872 में प्रकाशित हुई थी। यह इवान दिमित्रिच अक्सिओनोव नाम के एक व्यक्ति की कहानी है। अक्सिओनोव को एक ऐसी हत्या के लिए जेल भेज दिया जाता है जिसे उसने किया ही नहीं था। इस कहानी का मुख्य विषय यह है कि सत्य केवल ईश्वर ही जानता है।

गॉड सीज़ द ट्रुथ बट वेट्स इवान दिमित्रिच अक्सिओनोव नाम के एक युवा व्यापारी की कहानी है। वह अपने परिवार के साथ व्लादिमीर नाम के एक रूसी शहर में रहता है। अपनी पत्नी की सलाह को नज़रअंदाज़ करते हुए वह गर्मी के दिन में निज़नी मेले के लिए निकल पड़ता है। रास्ते में उसकी मुलाकात एक अन्य व्यापारी से होती है। साथ में वे दोनों एक सराय में ठहरते हैं। अक्सिओनोव अगली सुबह जल्दी उठता है और दूसरे व्यापारी के बगैर अकेले ही अपनी यात्रा जारी रखता है।

अगले दिन वह लगभग पच्चीस मील की यात्रा करता है और उसके बाद वह अपने घोड़ों को आराम देने के लिए एक और सराय में रुकता है। इसी बीच एक अधिकारी और दो सिपाही उसके पास पहुंचते हैं। वे उससे उस व्यापारी के बारे में पूछना शुरू करते हैं जो उसके साथ सराय में गत रात रुका हुआ था। उसे सूचित किया जाता है कि आज सुबह वह दूसरा व्यापारी मृत पाया गया है। वे उसके बैग की तलाशी लेते हैं। उसके बैग से एक खून से सना हुआ चाकू मिलता है। एक्सिओनोव चौंक जाता है। वह दावा करता है कि चाकू उसका नहीं है। परन्तु उसे गिरफ्तार कर साइबेरिया के जेल में भेज दिया जाता है।

वह निरपराध व्यक्ति 26 साल कारावास में बिताने के लिए मजबूर हो जाता है। यह कारावास उसे एक जमीनी और ईश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति बनाता है। कारावास के दौरान वह अपना जीवन ईश्वर को समर्पित कर देता है। वह साथी कैदियों द्वारा काफी पसंद किया जाता है। उसे एक न्यायप्रिय और ईमानदार व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। एक दिन एक नया कैदी जेल में आता है। उसका नाम मकर शिमोनिच है। जिस हत्या के लिए एक्सिओनोव को दोषी ठहराया गया था, दरअसल उस हत्या का वास्तविक दोषी यही मकर शिमोनिच था। एक दिन पहरेदारों को जेल में एक सुरंग मिलती है। एक्सिओनोव जानता है कि मकर शिमोनिच ही सुरंग खोदने का अपराधी है। लेकिन अधिकारियों के समक्ष वह इस राज का खुलासा नहीं करता है।

इस घटना के बाद मकर शिमोनिच उससे इतना प्रभावित होता है कि वह स्वयं ही स्वीकार कर लेता है कि उसने ही व्यापारी को मार डाला था। एक्सिओनोव उसे माफ कर देता है। मगर मकर शिमोनिच एक्सिओनोव की अच्छाई से इतना प्रभावित हो जाता है कि वह अधिकारियों के सामने अपना अपराध कबूल कर लेता है। इस कबूलनामा के पश्चात् एक्सिओनोव की रिहाई की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। दुर्भाग्य से जब रिहाई का आदेश आता है तो एक्सिओनोव पहले ही मर चुका होता है। इस दुःखद मोड़ पर आकर कहानी समाप्त हो जाती है।
Sandal S Anshu, Satna


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